Ethiopia's Tigray War: Shocking Survivor Stories of Violence and Resilience!

क्या आपने कभी सोचा है कि युद्ध के दौरान एक परिवार को किस प्रकार की भयानकताओं का सामना करना पड़ता है? इथियोपिया के तिग्रे क्षेत्र में युद्ध के जीवित बचे लोगों ने दिल दहलाने वाली गवाही दी है, जो ना केवल इस संघर्ष की क्रूरता को उजागर करती है, बल्कि मानवीय सहानुभूति को भी झकझोर देती है।
इथियोपिया के तिग्रे युद्ध के जीवित बचे लोगों ने हाल ही में अपने अनुभवों को साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे दोनों पक्षों द्वारा नागरिकों के खिलाफ संगठित हिंसा की गई। इस संघर्ष के दौरान गैंगरेप, यातना और मांस काटने जैसे भयानक कृत्य किए गए।
Tseday, जो दो बच्चों की मां हैं, ने Le Monde को बताया कि कैसे उन्होंने अपने पति के साथ ओरोमिया क्षेत्र में जाकर युद्ध के समय तिग्रे से भागने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें और उनकी दो साल की बेटी को 'संघीय सेना के सैनिकों' द्वारा पकड़ा गया और बलात्कार किया गया। 'उन्होंने पहले मेरा बलात्कार किया, फिर मेरी दो साल की बेटी का। उसके बाद, उन्होंने मेरे पति को मार डाला और हमारे सामने उनके शरीर को काट दिया,' उन्होंने अपने अनुभव को बयां किया।
एक अन्य जीवित बचे Nigist, 17 वर्षीय, ने बताया कि कैसे उन्हें उनके गांव में 'सशस्त्र पुरुषों' ने घेर लिया। 'उन्होंने हमें कपड़े उतारने के लिए कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया। उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया,' उन्होंने कहा।
Birhan Gebrekristos, जो इस विषय पर एक लेखक हैं, ने बताया कि युद्ध के दौरान कई महिलाओं के साथ भयानक यातनाएं की गईं। कुछ मामलों में तो गर्भवती महिलाओं के गर्भ में धातु के टुकड़े डालकर गर्भपात करने का भी आरोप लगाया गया।
अधिकारियों का कहना है कि तिग्रे में 120,000 से अधिक महिलाएं और लड़कियां यौन हिंसा का शिकार हुई हैं। हर तरफ बस दर्द और पीड़ा का आलम है।
युद्ध की पृष्ठभूमि में, यह संघर्ष 2020 में शुरू हुआ जब तिग्रे क्षेत्र सरकार ने संघीय सरकार के प्रति अपनी छवि खड़ी की। प्रधानमंत्री Abiy Ahmed ने सैनिकों को तिग्रे में भेजा, जिसका कारण संघीय सैन्य शिविरों पर किए गए हमले को बताया गया।
हालांकि, युद्ध के समाप्त होने के बाद भी, तिग्रे में स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। Meseret Hadush, Hiwyet Charity Association की संस्थापक ने बताया कि उन्होंने पिछले दो वर्षों में लगभग छह हजार माताओं को सहायता पहुँचाई है, लेकिन अब भी यौन हिंसा की घटनाएं जारी हैं।
अंततः, इस संघर्ष का अंत एक शांति समझौते के साथ हुआ, लेकिन इसके दुष्प्रभाव अब भी मौजूद हैं। जीवित बचे लोगों की कहानियाँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि युद्ध केवल लड़ाई नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक बड़ा संकट है।