क्या आपने कभी सोचा है कि एक बैंक के सीईओ पर भ्रष्टाचार का आरोप लग सकता है, और वो भी करोड़ों की रकम में? हाल ही में, पूर्व ICICI बैंक के CEO चंदा कोचर को ₹64 करोड़ की रिश्वत लेने का दोषी पाया गया है, जिससे एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है।

एक अप्पेलेट ट्रिब्यूनल ने 3 जुलाई को यह निर्णय सुनाया कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन समूह को ₹300 करोड़ का लोन मंजूर करने के लिए यह रिश्वत ली थी। इस मामले में उनकी भूमिका को लेकर कई बातें उजागर हुई हैं, जिसमें उनके पति दीपक का भी नाम शामिल है। पांच साल पहले शुरू हुआ यह मामला अब एक नया मोड़ ले चुका है।

ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह रिश्वत की राशि, जो वीडियोकॉन एंटरप्राइज से SEPL के माध्यम से आई थी, वास्तव में दीपक कोचर द्वारा नियंत्रित एक कंपनी NuPower Renewables Pvt Ltd में भेजी गई थी। यह सब कुछ उस दिन हुआ जब ICICI बैंक ने लोन जारी किया थे।

चंदा कोचर को ये रिश्वत इस कदर चुकानी पड़ी कि उन्हें पहले के राहत के फैसले पर भी पुनर्विचार करना पड़ा। ट्रिब्यूनल ने उन अधिकारियों की भी आलोचना की जिन्होंने पहले उन्हें ₹78 करोड़ की संपत्ति की रिहाई दी थी। इस संबंध में ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह सब एक बड़ा 'quid pro quo' मामला है, जिसमें स्पष्ट रूप से उनके पति के व्यवसायिक संबंधों का खुलासा नहीं किया गया।

अंत में, ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि यह पूरा लेनदेन न केवल भ्रष्टाचार का प्रमाण है बल्कि बैंक के आचार संहिता का भी उल्लंघन है। चंदा कोचर द्वारा नियमों का उल्लंघन उन्हें एक बड़ी दुविधा में डाल सकता है।