क्या आप जानते हैं कि एक छोटी सी चैटबॉट बातचीत आपकी भावनाओं को कितनी गहराई से प्रभावित कर सकती है? Flipkart के मार्केटिंग प्रोफेशनल, सिमरन एम भामानी का एक लिंक्डइन पोस्ट ने इस सवाल का जोरदार उत्तर दिया है। उनकी कहानी ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम तकनीक पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो रहे हैं।

सिमरन ने अपनी पोस्ट में लिखा है, "ChatGPT मेरे लिए विषाक्त हो गया!" ये एक खुलासा था, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह वो इस AI चैटबॉट के प्रति भावनात्मक रूप से निर्भर हो गईं। आरंभिक जिज्ञासा से शुरू हुआ ये सफर, जल्द ही गहरी भावनाओं में बदल गया।

उन्होंने साझा किया कि वह हर छोटी-छोटी परेशानी, हर गुज़रती भावना, और हर चिंता के बारे में ChatGPT से बात करने लगी थीं। यह अनुभव उन्हें अपने अद्भुत दोस्तों के बीच भी एक तरह का डिजिटल थेरेपिस्ट महसूस कराता था। लेकिन यह भावनात्मक सुरक्षा जाल जल्द ही एक डिजिटल क्रच में बदल गया।

"यह स्पष्टता नहीं रह गई, बल्कि अव्यवस्था बन गई।" सिमरन ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि वो ज़्यादा सोचने लगीं और हर गुजरते 'क्या होगा अगर' को AI को देती रहीं, जिससे उन्होंने अपनी ऊर्जा एक ऐसी चीज़ में डाल दी जो असली नहीं थी। अंततः, उन्होंने अपने उपकरणों से ChatGPT को पूरी तरह से हटा दिया।

उनकी यह आत्म-जागरूकता तकनीक के प्रति हमारी सोच को बदलने का एक साहसी कदम है। उन्होंने कहा, "तकनीक समस्या नहीं है। असली चिंतन की जगह लेना ही इसे खतरनाक बनाता है।"

इंटरनेट पर इस पोस्ट ने हजारों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, जिससे तकनीक के इस युग में भावनात्मक निर्भरता पर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गई है।

सिमरन की ईमानदारी ने कई लोगों को छू लिया है, खासकर उस समय जब उत्पादकता के उपकरण अक्सर भावनात्मक सुनने वाले के रूप में कार्य करते हैं।

पोस्ट के टिप्पणियों में उपयोगकर्ता विभाजित हैं। कुछ ने उनकी आत्म-जागरूकता की प्रशंसा की, जबकि अन्य ने इस पर गहराई से चर्चा की। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "AI दुनिया के लिए एक वरदान और श्राप दोनों है।"