क्या आपने कभी सोचा है कि जानवरों की दुनिया में लेज़र भी हो सकते हैं? हाल ही में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मोर के पंखों में एक अनोखा 'बायोलासर' कैविटी मिला है, जो जीव-जगत में पहली बार सामने आया है।

इस शोध टीम ने यह खोज की है कि जब पंखों को रंगा गया और उन्हें बाहरी प्रकाश स्रोत से ऊर्जा दी गई, तो उन्होंने पीले-हरे लेज़र प्रकाश की संकीर्ण किरणें उत्सर्जित कीं।

शोध में यह पता लगाया गया कि भारतीय मोर (Pavo cristatus) की पूंछ के पंखों के डाई-इन्फ्यूज्ड बार्बुल्स के प्रकाश-उत्सर्जक गुण बेहद उच्च तीव्रता पर 532nm पर पंप किए गए थे।

वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि डाई-इन्फ्यूज्ड बार्बुल्स को डाई समाधान से आंखों के स्थान को बार-बार भिगोकर और सूखने देने से तैयार किया गया। जब पंख गीले थे और विभिन्न भागों में गीला/सूखा चक्र किया गया, तब एक अत्यधिक संरक्षित लेज़र तरंगदैर्ध्य सेट देखा गया।

टीम ने जोर देकर कहा कि लेज़र उत्सर्जन देखने से पहले पंख को कई दाग लगाने के चक्रों की आवश्यकता थी।

शोधकर्ताओं ने कहा, “डाई-डोप्ड मोर की पूंछ के पंख के आंखों के स्थान ने कई संरचनात्मक रंग क्षेत्रों से लेज़र प्रकाश उत्सर्जित किया। उन क्षेत्रों में जहाँ दृश्य परावर्तन बैंड डाई के लाभ क्षेत्र के बाहर थे, वहां भी कुछ स्थानों पर लेज़र प्रकाश उत्सर्जित हुआ।”

उन्होंने यह भी बताया कि सबसे बड़ी लेज़र तीव्रता चौड़े उत्सर्जन वक्र के सापेक्ष हरे रंग के क्षेत्र से निकली।