North Korea's Secret Tech Workers: Are They Funding a Regime from Afar?

क्या आपने कभी सोचा है कि उत्तर कोरिया कैसे अपने शासक तानाशाह को धन भेजता है? यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने अपनी पहचान छिपाते हुए हजारों डॉलर कमाए और अपने देश के तानाशाही शासन को फंड किया।
जिन-सु, जिनका नाम उनकी सुरक्षा के लिए बदला गया है, कहते हैं कि उन्होंने पश्चिमी कंपनियों के लिए दूरस्थ आईटी कार्य करने के लिए सैकड़ों फर्जी पहचान का इस्तेमाल किया। यह सब उत्तर कोरिया के लिए धन जुटाने के एक बड़े गुप्त अभियान का हिस्सा है। बीबीसी को दिए एक दुर्लभ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वह अमेरिका और यूरोप में कई नौकरियों को संभालते हुए हर महीने कम से कम $5,000 (£3,750) कमा रहे थे। कुछ सहयोगियों ने तो इससे भी ज्यादा कमाया।
उत्तर कोरिया बड़ी सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण गुप्त आईटी श्रमिकों के काम को चलाने के लिए अपने नागरिकों को विदेशों में भेजता है। जिन-सु जैसे हजारों लोग चीन, रूस, और अफ्रीका के देशों में भेजे जाते हैं। पिछले साल, अमेरिका की अदालत ने 14 उत्तर कोरियाई लोगों पर आरोप लगाया था जिन्होंने फर्जी पहचान का उपयोग करके अमेरिकी कंपनियों से $88 मिलियन की वसूली की थी।
जब जिन-सु ने काम करना शुरू किया, तो उन्होंने अपनी पहचान छुपाने के लिए खुद को चीनी बताकर काम करना शुरू किया। वे हैंगरी, तुर्की और अन्य देशों में लोगों से संपर्क करते थे ताकि वे अपनी पहचान का उपयोग कर सकें। काम के लिए आवेदन करने के लिए उन्होंने पश्चिमी यूरोप में लोगों के साथ बातचीत की। वह कहते हैं, 'यदि आप उस प्रोफ़ाइल पर 'एशियाई चेहरा' लगाते हैं, तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी।'
जबकि अधिकांश श्रमिक एक स्थिर वेतन के लिए काम करते हैं, कुछ मामलों में वे डेटा चुराते हैं या अपने नियोक्ताओं को हैक करके फिरौती मांगते हैं। यह गुप्त आईटी नेटवर्क हर साल $250 मिलियन से $600 मिलियन का राजस्व उत्पन्न करता है, जो उत्तर कोरिया के लिए महत्वपूर्ण है। यह सब तब हुआ जब महामारी के दौरान दूरस्थ काम करना सामान्य हो गया।
हालांकि, यह जानकारी जिन-सु की व्यक्तिगत गवाही पर आधारित है, बीबीसी ने इस पर और भी साक्षात्कार किए हैं जो उसकी बातों को समर्थन करते हैं। साइबर सुरक्षा और सॉफ्टवेयर विकास क्षेत्र के कई प्रबंधकों ने भी पुष्टि की है कि उन्होंने कई उत्तर कोरियाई आईटी श्रमिकों की पहचान की है, जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
जिन-सु की कहानी यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम सच में जानते हैं कि दुनिया भर में हमारे लिए काम कर रहे लोग कौन हैं। क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए कि क्या हम अनजान में उत्तर कोरिया की तानाशाही को समर्थन दे रहे हैं? यही वक्त है विचार करने का।