क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन केवल एक मिलीसेकंड की देरी से कितनी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है? 5 अगस्त को वैज्ञानिकों ने एक अजीब घटना का अवलोकन किया – धरती की रोटेशन सामान्य से धीमी हो गई!

जी हां, इस दिन पृथ्वी की दिन की अवधि लगभग 86,400.00145 सेकंड थी, जो कि सामान्य से 1.45 मिलीसेकंड लंबी थी। जबकि यह बदलाव हमारी दैनिक ज़िंदगी पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं डालता, लेकिन इसके पीछे के कारण बेहद दिलचस्प हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना पृथ्वी की रोटेशन पर प्रभाव डालने वाली शक्तियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकती है।

आप सोच सकते हैं कि यह छोटी सी अवधि किस काम की है, लेकिन चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। एक सौर दिन 86,400 सेकंड, यानी 24 घंटे का होता है। लेकिन धरती की रोटेशन में थोड़ी-सी भी कमी या वृद्धि महत्त्व रखती है। यह बदलाव वातावरण के प्राकृतिक गुणों, समुद्री धाराओं, और यहाँ तक कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण हो सकता है।

इस बार का मामला कुछ खास था। वैज्ञानिकों के अनुसार, दक्षिणी गोलार्ध में वायुमंडलीय परिस्थितियों ने 5 अगस्त को धरती की रोटेशन में धीमापन लाने में योगदान दिया। वहाँ कुछ स्थानों पर सामान्य से अधिक तेज़ हवाओं के कारण एक मिनट की रुकावट हुई, जिससे दिन की अवधि में मिलीसेकंड भर का इजाफा हुआ।

यह घटना महत्वपूर्ण क्यों है? इसका असर न केवल हमारे समय पर, बल्कि उपग्रह संचार और GPS जैसे संवेदनशील सिस्टम पर भी पड़ सकता है। अगर धरती की रोटेशन में एक मिलीसेकंड का बदलाव हो, तो यह कई समय-संबंधी गणनाओं को बिगाड़ सकता है। इसलिए वैज्ञानिक इसे गंभीरता से ले रहे हैं।