क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक पत्रकार अपनी जान पर खेलकर सच बताने की कोशिश करता है, और फिर एक दिन उसकी आवाज हमेशा के लिए खामोश हो जाती है? ऐसा ही हुआ अल जज़ीरा के प्रमुख संवाददाता अनस अल शरिफ के साथ, जब चार पत्रकारों की हत्या कर दी गई। आज हम आपको इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में बता रहे हैं।

लंदन से आई खबरों के मुताबिक, अल जज़ीरा मीडिया कंपनी ने रविवार को एक बयान में कहा कि उनके चार पत्रकार, जिनमें अनस अल शरिफ भी शामिल हैं, गाज़ा सिटी में एक इजरायली हवाई हमले में मारे गए। इस हमले ने न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता को चोट पहुंचाई है, बल्कि यह एक संकेत भी है कि कितनी परेशानी में पत्रकारों की ज़िंदगी होती है।

अनस अल शरिफ, जो गाज़ा से रिपोर्टिंग करने वाले सबसे जाने-माने पत्रकारों में से एक थे, और जिनके लाखों सोशल मीडिया फॉलोअर्स थे, उनकी हत्या के समय उनके साथी संवाददाता मोहम्मद क्रीकह और कैमरामेन इब्राहीम ज़ाहिर और मोहम्मद नुफल भी मौजूद थे। ये सभी पत्रकार उस तंबू में थे, जिसे इजरायली वायुसेना ने निशाना बनाया।

इजरायली रक्षा बलों ने एक बयान में कहा कि उन्होंने अल शरिफ को लक्ष्य बनाया, यह दावा करते हुए कि वह एक हमास सेल का नेतृत्व कर रहे थे और इजराइली लक्ष्यों के खिलाफ रॉकेट हमलों में शामिल थे। यह आरोप तब आया जब पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली संस्था, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने अल शरिफ की सुरक्षा की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि वह उनकी सुरक्षा को लेकर 'गंभीर रूप से चिंतित' हैं और इजरायली सेना पर 'स्मियर कैंपेन' का आरोप लगाया था।

कमेटी के अनुसार, इजरायल-गाज़ा युद्ध की शुरुआत से अब तक 186 पत्रकार मारे जा चुके हैं, जिनमें से कम से कम 178 फिलिस्तीनियों की इजरायली बलों द्वारा हत्या की गई है। यह घटना पत्रकारिता के लिए एक काला दिन है और हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सच बोलना अब भी सुरक्षित है?